परिचय
विधान सभा उत्तराखंड-एक परिचय

विधान सभा भवन, देहरादून
09 नवंबर सन् 2000 को उत्तराखंड देश के 27वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। लगभग 53483 वर्ग किलोमीटर में फैले उत्तराखंड के पूर्व में काली नदी नेपाल के साथ तथा पश्चिम में टौंस नदी हिमाचल के साथ सीमा बनाती है। उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत चीन तथा दक्षिण में तराई की भूमि इस राज्य को उत्तर-प्रदेश से मिलाती है। राज्य गठन के समय उत्तराखंड का नाम उत्तरांचल रखा गया था, लेकिन जनभावनाओं तथा राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप 01 जनवरी 2007 को राज्य का नाम उत्तराखंड हो गया। प्रशासनिक तौर उत्तराखंड के दो मंडल हैं, गढ़वाल और कुमाऊं। कुल जिलों की संख्या 13 है। राज्य गठन के समय अंतरिम विधानसभा में 30 सदस्य थे, जिनमें से 22 सदस्य उत्तर प्रदेश विधानसभा से तथा 08 सदस्य उत्तर प्रदेश विधान परिषद से थे। वर्तमान में उत्तराखंड विधानसभा की कुल 70 सीटें हैं। अंतरिम सरकार में स्व. श्री प्रकाश पंत विधानसभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वर्ष 2002 में प्रथम निर्वाचित विधानसभा में श्री यशपाल आर्य जी विधानसभा के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2007 में स्व. श्री हरबंस कपूर, वर्ष 2012 में श्री गोविंद सिंह कुंजवाल तथा वर्ष 2017 में श्री प्रेम चंद अग्रवाल विधानसभा के अध्यक्ष बने। वर्तमान में श्रीमती ऋतु खंडूड़ी भूषण उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष तथा श्री पुष्कर सिंह धामी नेता सदन हैं। उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी देहरादून तथा ग्रीष्मकालीन राजधानी भराड़ीसैंण, गैरसैंण जिला चमोली में है। वर्ष 2000 में राज्य निर्माण के समय उत्तराखंड विधानसभा का संचालन देहरादून की डिफेंस कॉलोनी रोड पर स्थित विकास भवन में किया गया, लेकिन धीरे-धीरे काफी अवस्थापना सुविधाओं का विकास होता गया और वर्तमान में इसी भवन में विधानसभा भवन संचालित है।

विधान सभा भवन, भराड़ीसैंण, गैरसैंण
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप 04 मार्च 2020 को हिमालयी क्षेत्र के दूधातोली चोटी पर स्थित भराड़ीसैंण, गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया। यहां भव्य विधान भवन का निर्माण हो चुका है तथा प्रत्येक वर्ष विधानसभा सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं। वर्तमान में यहां तीव्र गति से अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। समुद्र तल से 5410 फीट की ऊंचाई पर स्थित विधानसभा परिसर 47 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया गया है। पेशावर कांड के नायक तथा महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर चंद्र सिंह गढ़वाली ने सबसे पहले 1960 के दशक में गैरसैंण जिला चमोली को राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया। उन्हीं के नाम पर 1992 में गैरसैंण का नामकरण चंद्रनगर के रूप में किया गया। हिमालय की गोद में स्थित भराड़ीसैंण, गैरसैंण जिला चमोली विधानसभा तथा गुरु द्रोण की नगरी देहरादून में स्थित दून की विधानसभा लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में कृत संकल्पित हैं और इसी लक्ष्य को लेकर चल रही हैं।