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Types of Questions


प्रश्नों के प्रकार


प्रश्नों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में विभक्त किया जाता है:-
1- अल्पसूचित,2- तारांकित,3- अतारांकित।

अल्पसूचित प्रश्न


  • अल्पसूचित प्रश्न का तात्पर्य ऐसे प्रश्न से है जो अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय से सम्बन्धित हो। इसका विभेद दो तारांक लगाकर किया जाता है। दिये हुए उत्तर से उत्पन्न अनुपूरक प्रश्न उसके बारे में माननीय अध्यक्ष, विधान सभा की अनुज्ञा से किये जा सकते हैं। जब कोई सदस्य अल्पसूचित प्रश्न पूछना चाहते हैं तो वह ऐसे प्रश्न की पूरे तीन दिन की सूचना लिखित रूप में सचिव को देते हैं। सचिव साधारणतया प्रश्न की, अल्पसूचित प्रश्न के रूप में, ग्राह्यता पर उसकी प्राप्ति के 24 घंटे के भीतर माननीय अध्यक्ष की आज्ञा प्राप्त करते हैं। अध्यक्ष की आज्ञा प्राप्त हो जाने के उपरान्त प्रश्न की एक प्रतिलिपि सम्बन्धित मंत्री को इस निवेदन के साथ भेज दी जाती है कि वह सचिव को सूचित करें कि क्या वह प्रश्न का उत्तर अल्पसूचित प्रश्न के रूप में देने की स्थिति में हैं। यदि मंत्री अल्पसूचना पर उत्तर देने के लिय सहमत हों तो वह प्रश्न तत्काल या तदुपरान्त इतने शीघ्र कार्यसूची में रख दिया जाता है जैसे कि अध्यक्ष निर्देश दें, परन्तु किसी एक दिन की कार्यसूची में 2 से अधिक अल्पसूचित प्रश्न नहीं रखे जाते हैं।


  • यदि सम्बद्ध मंत्री अल्प सूचना पर उत्तर देने की स्थिति में न हों और अध्यक्ष की यह राय हो कि वह पर्याप्त लोक महत्व का है तो वे निदेश दे सकते हैं कि उसको उस दिन की प्रश्नसूची में प्राथमिकता देकर पृथक नत्थी के रूप में रखा जाये जिस दिन नियम के अनुसार तारांकित प्रश्न के रूप में उत्तर के लिये उसकी बारी है. परन्तु ऐसे प्राथमिकता प्राप्त प्रश्नों की संख्या उस दिन की कार्य सूची में तीन से अधिक नहीं होती है और एक सदस्य का एक से अधिक प्रश्न नही रखा जाता है।


  • जब दो या दो से अधिक सदस्य एक ही विषय पर अल्पसूचित प्रश्न देते हैं और एक सदस्य का प्रश्न अल्पसूचना पर उत्तर के लिये ग्राह्य हो जाता है, तो अन्य सदस्यों के नाम भी उस सदस्य के नाम के साथ रख दिये जाते हैं, जिसका प्रश्न उत्तर के लिये ग्राह्य कर लिया गया हो। परन्तु अध्यक्ष यह निदेश दे सकते हैं कि सब सूचनाओं को एक ही सूचना में समेकित कर दिया जाए यदि अनकी राय में एक ही सम्पूर्ण ऐसा प्रश्न तैयार करना वांछनीय हो, जिनमें सदस्यों द्वारा उठायी गयी सब महत्वपूर्ण बातें आ जाएं और तब मंत्री उसमें समेकित प्रश्न का उत्तर देते हैं  किन्तु समेकित प्रश्न की अवस्था में सभी संबंधित सदस्यों के नाम साथ-साथ दिये जा सकते हैं और उनकी सूचना की प्राथमिकता के क्रम से प्रश्न के सामने दिखाये जा सकते हैं।
 तारांकित प्रश्न


  • तारांकित प्रश्न का तात्पर्य ऐसे प्रश्न से है, जिस पर दिये हुए उत्तर से उत्पन्न अनुपूरक प्रश्न अध्यक्ष की अनुज्ञा से किये जा सकते हैं। एक ताराँक लगाकर उसका विभेद किया जाता है। ऐसे प्रश्नों की लिखित सूचना सदस्य द्वारा कम से कम पूरे 20 दिन पूर्व दी जाती है और विधान सभा सचिवालय द्वारा प्रश्न शासन को साधारणतया 5 दिन के भीतर भेज दिये जाते हैं, परन्तु जब तक अध्यक्ष अन्यथा विनिश्चय न करें, कोई प्रश्न उत्तर के लिये प्रश्नसूची में तब तक नहीं रखा जाता है, जब तक कि मंत्री या संबंधित विभाग को ऐसे प्रश्न की सूचना देने के दिनांक से 15 दिन समाप्त न हो जाए। यदि अध्यक्ष की यह राय है कि प्रश्न की ग्राह्यता अथवा अग्राह्यता का विनिश्चय करने के लिये अधिक समय की आवश्यकता है तो वह प्रश्न उत्तर के लिये कार्यसूची में उस दिन के बाद किसी दिन रखा जा सकता है जिस दिन वह नियमों के अधीन नियत किया जाता।

अतारांकित प्रश्न


  • अतारांकित प्रश्न से उस प्रश्न का तात्पर्य है जिसका लिखित उत्तर संबंधित सदस्य को दिया जाए और जिस पर अनुपूरक प्रश्न करने की अनुज्ञा न हो। इन प्रश्नों के विषय में भी वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो तारांकित प्रश्नों कि लिये निर्धारित है।

प्रश्नों के मौखिक उत्तरों के लिए दिन नियत करना

  • प्रश्नों के उत्तर देने हेतु संबंधित विभागों के मंत्रियों के लिए अलग-अलग वारों का आवंटन अध्यक्ष, विधान सभा के अनुमोदन से चक्रानुक्रम में किया जाता है। जब तक अध्यक्ष अन्यथा निदेश न दें केवल ऐसे मंत्रियों से संबंधित प्रश्न ही किसी दिन की कार्यसूची में रखे जाते है जिनके लिए वह दिन नियत हो। यह नियम अल्पसूचित प्रश्नों के लिए लागू नही होता है।
सदन में प्रश्न पूछने की रीति

  • प्रश्नों के घंटे में अध्यक्ष उन सदस्यों को जिनके नाम से प्रश्न सूचीबद्ध किये गये हों, क्रमानुसार तथा प्रश्नों की प्राथमिकता का यथोचित ध्यान रखते हुए अथवा ऐसी अन्य रीति से पुकारते हैं जिसे अध्यक्ष स्वविवेक से विनिश्चित करें और ऐसे सदस्य पुकारे जाने पर अपनी उपस्थिति दर्शाने के लिए अपने स्थान पर खडे़ होते हैं। यदि वह सदस्य जो पुकारे गये हों अनुपस्थित हों तो अध्यक्ष आगामी प्रश्न को ले लेते हैं।
प्रश्नों की सूचना देने की रीति

  • प्रश्न विभागीय मंत्री को सम्बोधित होने चाहिए और सचिव को उनकी लिखित सूचना दी जानी चाहिए।
  • एक दिन प्राप्त हुए प्रश्न उसी दिन के समझे जाते हैं, चाहे प्रश्नकर्ता ने उस पर विभिन्न दिनांक अंकित कर दिये हों।
प्रश्नोत्तर के लिये वारों का आवंटन

  • प्रक्रिया नियमावली के नियम 36 के अन्तर्गत प्रश्नों के उत्तर हेतु उपवेशन के दिनों को चक्रानुक्रम में आवंटित करने का अधिकार माननीय अध्यक्ष को प्राप्त है। माननीय अध्यक्ष के आदेशानुसार प्रश्नों के उत्तर हेतु आवंटित वारों की सूचना समय-समय पर विधान सभा सचिवालय द्वारा जारी की जाती है जिसकी प्रति प्रश्न अनुभाग से प्राप्त की जा सकती है। प्रशासकीय विभागों को चाहिये कि वे वार-आवंटन की अद्यावधिक सूची इस सचिवालय के प्रश्न अनुभाग से प्राप्त कर तद्नुसार ही प्रश्नों के उत्तर की तैयारी करें और अपने विभागीय मंत्री को भी अवगत कराएं ताकि सदन में प्रश्नों एवं उनके अनुपूरक प्रश्नों के उत्तर देने में सम्बद्ध मंत्री को सुविधा रहे। 
प्रश्नों की संख्या की परिसीमा

  • एक सदस्य द्वारा एक दिन में केवल पांच प्रश्नों की ही सूचना दी जा सकती है, जिसमें अल्पसूचित तारांकित प्रश्न, तारांकित प्रश्न तथा अतारांकित  प्रश्न सम्मिलित है। यदि कोई सदस्य पांच प्रश्नों से अधिक की सूचना किसी दिन देते है तो उनकी प्रथम पांच सूचनायें ली जा सकेंगी और शेष सूचना अस्वीकृत समझी जायेंगी.   
  • मौखिक उत्तर के लिये किसी एक दिन की  प्रश्न सूची में तारांक लगाकर विभेद किये गये 20 से अधिक प्रश्न नहीं रखे जाते हैं तथा एक सदस्य के तीन से अधिक तारांकित  प्रश्न नहीं रखे जाते है। परन्तु किसी एक दिन के लिए निर्धारित अतारांकित प्रश्नों की कुल संख्या सामान्यतः 100 से अधिक नहीं होती हैं।